ईमानदारी से
Unjustly
The earth shall shine with the light of its Lord, and the Scroll shall be set in place, and the Prophets and all witnesses shall be brought, and judgement shall be justly passed among them, and they shall not be wronged ;
और ज़मीन अपने परवरदिगार के नूर से जगमगा उठेगी और किताब रख दी जाएगी और पैग़म्बर और गवाह ला हाज़िर किए जाएँगे और उनमें इन्साफ के साथ फैसला कर दिया जाएगा और उन पर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा
listen to falsehood, to devour anything forbidden. So if they come to you, either judge between them, or turn away from them. If you turn away from them, they cannot hurt you in the least. And if you judge, judge with justice between them. Verily, Allah loves those who act justly.
ये झूठी बातों को बड़े शौक़ से सुनने वाले और बड़े ही हरामख़ोर हैं तो अगर ये लोग तुम्हारे पास आए तो तुमको इख्तेयार है ख्वाह उनके दरमियान फैसला कर दो या उनसे किनाराकशी करो और अगर तुम किनाराकश रहोगे तो ये लोग तुम्हारा हरगिज़ कुछ बिगाड़ नहीं सकते और अगर उनमें फैसला करो तो इन्साफ़ से फैसला करो क्योंकि ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है
He does not forbid you to deal kindly and justly with anyone who has not fought you on account of your faith or driven you out of your homes: God loves the just.
जो लोग तुमसे तुम्हारे दीन के बारे में नहीं लड़े भिड़े और न तुम्हें घरों से निकाले उन लोगों के साथ एहसान करने और उनके साथ इन्साफ़ से पेश आने से ख़ुदा तुम्हें मना नहीं करता बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है
O believers, when you contract a debt one upon another for a stated term, write it down, and let a writer write it down between you justly, and let not any writer refuse to write it down, as God has taught him ; so let him write, and let the debtor dictate, and let him fear God his Lord and not diminish aught of it. And if the debtor be a fool, or weak, or unable to dictate himself, then let his guardian dictate justly. And call in to witness two witnesses, men ; or if the two be not men, then one man and two women, such witnesses as you approve of, that if one of the two women errs the other will remind her ; and let the witnesses not refuse, whenever they are summoned. And be not loth to write it down, whether it be small or great, with its term ; that is more equitable in God ' s sight, more upright for testimony, and likelier that you will not be in doubt. Unless it be merchandise present that you give and take between you ; then it shall be no fault in you if you do not write it down. And take witnesses when you are trafficking one with another. And let not either writer or witness be pressed ; or if you do, that is ungodliness in you. And fear God ; God teaches you, and God has knowledge of everything.
ऐ ईमानदारों जब एक मियादे मुक़र्ररा तक के लिए आपस में क़र्ज क़ा लेन देन करो तो उसे लिखा पढ़ी कर लिया करो और लिखने वाले को चाहिये कि तुम्हारे दरमियान तुम्हारे क़ौल व क़रार को, इन्साफ़ से ठीक ठीक लिखे और लिखने वाले को लिखने से इन्कार न करना चाहिये जिस तरह ख़ुदा ने उसे सिखाया है उसी तरह उसको भी वे उज़्र लिख देना चाहिये और जिसके ज़िम्मे क़र्ज़ आयद होता है उसी को चाहिए कि की इबारत बताता जाये और ख़ुदा से डरे जो उसका सच्चा पालने वाला है डरता रहे और और क़र्ज़ देने वाले के हुक़ूक़ में कुछ कमी न करे अगर क़र्ज़ लेने वाला कम अक्ल या माज़ूर या ख़ुद का मतलब लिखवा न सकता हो तो उसका सरपरस्त ठीक ठीक इन्साफ़ से लिखवा दे और अपने लोगों में से जिन लोगों को तुम गवाही लेने के लिये पसन्द करो दो मर्दों की गवाही कर लिया करो फिर अगर दो मर्द न हो तो एक मर्द और दो औरतें उन दोनों में से अगर एक भूल जाएगी तो एक दूसरी को याद दिला देगी, और जब गवाह हुक्काम के सामने बुलाया जाएं तो हाज़िर होने से इन्कार न करे और क़र्ज़ का मामला ख्वाह छोटा हो या उसकी मियाद मुअय्युन तक की लिखवाने में काहिली न करो, ख़ुदा के नज़दीक ये लिखा पढ़ी बहुत ही मुन्सिफ़ाना कारवाई है और गवाही के लिए भी बहुत मज़बूती है और बहुत क़रीन है कि तुम आईन्दा किसी तरह के शक व शुबहा में न पड़ो मगर जब नक़द सौदा हो जो तुम लोग आपस में उलट फेर किया करते हो तो उसकी के न लिखने में तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है और जब उसी तरह की ख़रीद हो तो गवाह कर लिया करो और क़ातिब और गवाह को ज़रर न पहुँचाया जाए और अगर तुम ऐसा कर बैठे तो ये ज़रूर तुम्हारी शरारत है और ख़ुदा से डरो ख़ुदा तुमको मामले की सफ़ाई सिखाता है और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है
Allah does not forbid you to deal justly and kindly with those who fought not against you on account of religion and did not drive you out of your homes. Verily, Allah loves those who deal with equity.
जो लोग तुमसे तुम्हारे दीन के बारे में नहीं लड़े भिड़े और न तुम्हें घरों से निकाले उन लोगों के साथ एहसान करने और उनके साथ इन्साफ़ से पेश आने से ख़ुदा तुम्हें मना नहीं करता बेशक ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है
Allah does not forbid you to be kind and to act justly to those who have neither made war on your Religion nor expelled you from your homes. Allah loves the just.
अल्लाह तुम्हें इससे नहीं रोकता कि तुम उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करो और उनके साथ न्याय करो, जिन्होंने तुमसे धर्म के मामले में युद्ध नहीं किया और न तुम्हें तुम्हारे अपने घरों से निकाला । निस्संदेह अल्लाह न्याय करनेवालों को पसन्द करता है
And let those fear who if they left behind them weak offspring would be afraid for them. So let them mind their duty to Allah, and speak justly.
और उन लोगों को डरना कि अगर वह लोग ख़ुद अपने बाद नातवॉ बच्चे छोड़ जाते तो उन पर तरस आता पस उनको ख़ुदा से डरना चाहिये और उनसे सीधी तरह बात करना चाहिए
Believers, be dutiful to Allah and bearers of just witness. Do not allow your hatred for other people to turn you away from justice. Deal justly ; it is nearer to piety. Have fear of Allah ; Allah is Aware of what you do.
ऐ ईमान लेनेवालो! अल्लाह के लिए खूब उठनेवाले, इनसाफ़ की निगरानी करनेवाले बनो और ऐसा न हो कि किसी गिरोह की शत्रुता तुम्हें इस बात पर उभार दे कि तुम इनसाफ़ करना छोड़ दो । इनसाफ़ करो, यही धर्मपरायणता से अधिक निकट है । अल्लाह का डर रखो, निश्चय ही जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह को उसकी ख़बर हैं
Do you not realize that to God prostrates everyone in the heavens and everyone on earth, and the sun, and the moon, and the stars, and the mountains, and the trees, and the animals, and many of the people ? But many are justly deserving of punishment. Whomever God shames, there is none to honor him. God does whatever He wills.
क्या तुमने इसको भी नहीं देखा कि जो लोग आसमानों में हैं और जो लोग ज़मीन में हैं और आफताब और माहताब और सितारे और पहाड़ और दरख्त और चारपाए और आदमियों में से बहुत से लोग सब खुदा ही को सजदा करते हैं और बहुतेरे ऐसे भी हैं जिन पर नाफ़रमानी की वजह से अज़ाब का लाज़िम हो चुका है और जिसको खुदा ज़लील करे फिर उसका कोई इज्ज़त देने वाला नहीं कुछ शक नहीं कि खुदा जो चाहता है करता है सजदा
And if you fear that you shall not be able to deal justly with the orphan - girls, then marry women of your choice, two or three, or four but if you fear that you shall not be able to deal justly, then only one or that your right hands possess. That is nearer to prevent you from doing injustice.
और यदि तुम्हें आशंका हो कि तुम अनाथों के प्रति न्याय न कर सकोगे तो उनमें से, जो तुम्हें पसन्द हों, दो - दो या तीन - तीन या चार - चार से विवाह कर लो । किन्तु यदि तुम्हें आशंका हो कि तुम उनके साथ एक जैसा व्यवहार न कर सकोंगे, तो फिर एक ही पर बस करो, या उस स्त्री पर जो तुम्हारे क़ब्ज़े में आई हो, उसी पर बस करो । इसमें तुम्हारे न्याय से न हटने की अधिक सम्भावना है