अनैतिक
अपमानकारक
लज्जाजनक
Mountbatten replied that such withholding would be the ' first dishonourable act ' of the Indian Government.
माउंटगेटन जबाब दिया कि इस प्रकार रकम रोकना भारत सरकार का पहला असम्मानजनक कृत्य होगा ।
He kept debating a thousand times with himself about what its connection was with the outside world, what was its relationship with society at large, was it dishonourable conduct towards Lolita, was it a betrayal of the confidence extended by Poresh Babu ?
बाहर के साथ उसका मेल कैसे होगा, संसार के साथ उसका सम्बन्ध क्या है, वह क्या ललिता के प्रति असम्मान है या परेश बाबू के प्रति विश्वास - घात इन सब प्रश्नों को लेकर वह बडी उधेड बुन में पड गया ।