Meaning of Blasphemous in Hindi - हिंदी में मतलब

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Ayush Rastogi
Mar 07, 2020   •  0 views
  • अपवित्रकारी

  • धर्मद्रोही

  • ईस निंदात्मक

Synonyms of "Blasphemous"

"Blasphemous" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • They swear by Allah that they said nothing blasphemous whereas they indeed blasphemed, and fell into unbelief after believing, and also had evil designs which they could not carry into effect. They are spiteful against Muslims for no other reason than that Allah and His Messenger have enriched them through His bounty! So, if they repent, it will be to their own good. But if they turn away, Allah will sternly punish them in this world and in the Hereafter. None in the world will be able to protect or help them.
    ये मुनाफेक़ीन ख़ुदा की क़समें खाते है कि नहीं कही हालॉकि उन लोगों ने कुफ़्र का कलमा ज़रूर कहा और अपने इस्लाम के बाद काफिर हो गए और जिस बात पर क़ाबू न पा सके उसे ठान बैठे और उन लोगें ने सिर्फ इस वजह से अदावत की कि अपने फज़ल व करम से ख़ुदा और उसके रसूल ने दौलत मन्द बना दिया है तो उनके लिए उसमें ख़ैर है कि ये लोग अब भी तौबा कर लें और अगर ये न मानेगें तो ख़ुदा उन पर दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब नाज़िल फरमाएगा और तमाम दुनिया में उन का न कोई हामी होगा और न मददगार

  • If it is blasphemous that Jagmohan silently concurred with the regularisation of Anant Ram Dairy because it falls in his parliamentary constituency, it is equally shocking that the Cabinet - of which Kumaramangalam is a member - put its seal on a decision that is in flagrant violation of all building norms and guidelines.
    यदि अपने निर्वाचन क्षेत्र में पड़ेने वाली अनंतराम ड़ेयरी कॉलनी को नियमित करने पर जगमोहन की मूक सहमति निंदनीय है, तो निर्माण के सभी नियमों और दिशानिर्देशों को धता बताने वाले फैसले पर मंत्रिमंड़ल का मुहर लगाना भी उतना ही स्तध करने वाल है - खासतौर पर इसलिए कि कुमारमंगलम मंत्रिमंड़ल के सदस्य हैं.

  • Yet they attribute to some of His servants a share with Him! truly is man a blasphemous ingrate avowed!
    उन्होंने उसके बन्दों में से कुछ को उसका अंश ठहरा दिया! निश्चय ही मनुष्य खुला कृतघ्न है

  • But if they turn away—We did not send you as a guardian over them. Your only duty is communication. Whenever We let man taste mercy from Us, he rejoices in it ; but when misfortune befalls them, as a consequence of what their hands have perpetrated, man turns blasphemous.
    फिर अगर मुँह फेर लें तो हमने तुमको उनका निगेहबान बनाकर नहीं भेजा तुम्हारा काम तो सिर्फ पहुँचा देना है और जब हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाते हैं तो वह उससे ख़ुश हो जाता है और अगर उनको उन्हीं के हाथों की पहली करतूतों की बदौलत कोई तकलीफ पहुँचती बेशक इन्सान बड़ा नाशुक्रा है

  • But if they turn away—We did not send you as a guardian over them. Your only duty is communication. Whenever We let man taste mercy from Us, he rejoices in it ; but when misfortune befalls them, as a consequence of what their hands have perpetrated, man turns blasphemous.
    अब यदि वे ध्यान में न लाएँ तो हमने तो तुम्हें उनपर कोई रक्षक बनाकर तो भेजा नहीं है । तुमपर तो केवल पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है । हाल यह है कि जब हम मनुष्य को अपनी ओर से किसी दयालुता का आस्वादन कराते है तो वह उसपर इतराने लगता है, किन्तु ऐसे लोगों के हाथों ने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण यदि उन्हें कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो निश्चय ही वही मनुष्य बड़ा कृतघ्न बन जाता है

  • They swear by Allah that they said nothing blasphemous whereas they indeed blasphemed, and fell into unbelief after believing, and also had evil designs which they could not carry into effect. They are spiteful against Muslims for no other reason than that Allah and His Messenger have enriched them through His bounty! So, if they repent, it will be to their own good. But if they turn away, Allah will sternly punish them in this world and in the Hereafter. None in the world will be able to protect or help them.
    वे अल्लाह की क़समें खाते है कि उन्होंने नहीं कहा, हालाँकि उन्होंने अवश्य ही कुफ़्र की बात कही है और अपने इस्लाम स्वीकार करने के पश्चात इनकार किया, और वह चाहा जो वे न पा सके । उनके प्रतिशोध का कारण तो यह है कि अल्लाह और उसके रसूल ने अपने अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर दिया । अब यदि वे तौबा कर लें तो उन्हीं के लिए अच्छा है और यदि उन्होंने मुँह मोड़ा तो अल्लाह उन्हें दुनिया और आख़िरत में दुखद यातना देगा और धरती में उनका न कोई मित्र होगा और न सहायक

  • Yet they attribute to some of His servants a share with Him! truly is man a blasphemous ingrate avowed!
    और उन लोगों ने उसके बन्दों में से उसके लिए औलाद क़रार दी है इसमें शक़ नहीं कि इन्सान खुल्लम खुल्ला बड़ा ही नाशक्रा है

  • Muslim interest in the city revived only with the Israeli conquest of Jerusalem in 1967. Jerusalem then became the focal point of Arab politics, serving to unify fractious elements. In 1968, the PLO amended its covenant to call Jerusalem “ the seat of the Palestine Liberation Organization. ” The king of Saudi Arabia himself declared the city religiously “ just like” Mecca - a novel, if not a blasphemous idea. 1990
    में जेरूसलम की ओर इस्लामी ध्यान इस कृत्रिम तीव्रता तक पहुँचा कि फिलीस्तीनियों ने इसे मनाने से परे इस शहर के ऐतिहासिक और पवित्र महत्व से यहूदियों को वंचित करने का विचार विकसित किया.

  • The era of Islamist uproar began abruptly on February 14, 1989, when Ayatollah Ruhollah Khomeini, Iran ' s supreme leader, watched on television as Pakistanis responded with violence to a new novel by Salman Rushdie, the famous writer of South Asian Muslim origins. His book ' s very title, The Satanic Verses, refers to the Koran and poses a direct challenge to Islamic sensibilities ; its contents further exacerbate the problem. Outraged by what he considered Rushdie ' s blasphemous portrait of Islam, Khomeini issued an edict whose continued impact makes it worthy of quotation at length: I inform all zealous Muslims of the world that the author of the book entitled The Satanic Verses - which has been compiled, printed, and published in opposition to Islam, the Prophet, and the Koran - and all those involved in the publication who were aware of its contents, are sentenced to death.
    इस क्रम में मैं दो बिन्दुओं के बारे में चर्चा करना चाहूँगा । पहला तो यह कि पश्चिम का इस्लाम और मुसलमानों के बारे में चर्चा करने, उनकी आलोचना करने और यहाँ तक कि उसे चिढाने का अधिकार क्षीण हुआ है । दूसरा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समस्या का अत्यंत छोटा पहलू है दाँव पर कुछ कहीं अधिक लगा है जो कि निश्चय ही हमारे समय का सबसे मह्त्वपूर्ण प्रश्न है, क्या पश्चिमी लोग अपनी ऐतिहासिक सभ्यता को इस्लामवादी आक्रमण के समक्ष बरकरार रख पायेंगे या फिर वे इस्लामी संस्कृति और कानून के समक्ष समर्पण कर द्वितीय श्रेणी के नागरिक होकर रह जायेंग़ॆ ?

  • This is shown in their attitude to the legend of Manasa ; Chaudhuri finds the ordeals of Chand very unjust, unnatural and almost blasphemous and loathed the snake goddess.
    यह अंतर दोनों लेखकों के मनसा की कथा के प्रस्तुतिकरण से स्पष्ट होता है, चौधुरी को चाँद सौछागर की परीक्षाएँ अत्यंत अनुचित, अस्वाभाविक तथा लगभग ईशनिंदात्मक मालूम होती हैं जिससे सर्प देवी को नफ़रत हुई ।

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