Parv Meaning In Hindi - पर्व का मतलब

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Parul Gaur
Sep 27, 2019   •  151 views

Name(s)
Parv, Parva

नाम
पर्व

अर्थ

  • धूम-धाम से मनाया जाने वाला कोई बड़ा जातीय, धार्मिक या सामाजिक, मंगल या शुभ दिन

  • शरीर के अंगों की गाँठ या जोड़ जहाँ से वे झुकते या मुड़ते हैं

  • सूर्य की एक राशि से निकलकर दूसरी में प्रवेश करने की क्रिया

  • चँद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने से सूर्य के प्रकाश का चँद्रमा तक न पहुँच पाने की स्थिति

  • सूर्य और पृथ्वी के बीच में चँद्रमा के आ जाने से पृथ्वी पर सूर्य के प्रकाश का न पहुँच पाने की स्थिति

  • ग्रंथ का खंड या विभाग जिसमें कई अध्याय हो सकते हैं

  • चार महीनों में होनेवाला एक प्रकार का वैदिक यज्ञ

  • आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक का समय

  • कोई निश्चित या सीमित काल या अवधि विशेषकर अमावस्या, पूर्णिमा और चांद्रमास के शुक्ल व कृष्ण दोनों पक्षों की अष्टमियाँ

  • वे यज्ञ जो अमावस्या, पूर्णिमा तथा दोनों पक्षों की अष्टमी तिथियों में किए जाते थे

लिंग
लड़का

धर्म
हिन्दू

राशि
कन्या

पर्व का मतलब
आइये पर्व नाम रखने के प्रभाव को गहरायी से समझते हैं। अगर आप अपने बच्चे का नाम पर्व रखने की सोच रहें हैं तो पहले उसका मतलब जान लेना जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्यूंकि पर्व नाम रखने से आपका बच्चा भी इस नाम के मतलब की तरह व्यव्हार करने लगता है और वो गुण लेता है जो इसके अर्थ में यानि की धूम-धाम से मनाया जाने वाला कोई बड़ा जातीय, धार्मिक या सामाजिक, मंगल या शुभ दिन, शरीर के अंगों की गाँठ या जोड़ जहाँ से वे झुकते या मुड़ते हैं, सूर्य की एक राशि से निकलकर दूसरी में प्रवेश करने की क्रिया, चँद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने से सूर्य के प्रकाश का चँद्रमा तक न पहुँच पाने की स्थिति, सूर्य और पृथ्वी के बीच में चँद्रमा के आ जाने से पृथ्वी पर सूर्य के प्रकाश का न पहुँच पाने की स्थिति, ग्रंथ का खंड या विभाग जिसमें कई अध्याय हो सकते हैं, चार महीनों में होनेवाला एक प्रकार का वैदिक यज्ञ, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक का समय, कोई निश्चित या सीमित काल या अवधि विशेषकर अमावस्या, पूर्णिमा और चांद्रमास के शुक्ल व कृष्ण दोनों पक्षों की अष्टमियाँ, वे यज्ञ जो अमावस्या, पूर्णिमा तथा दोनों पक्षों की अष्टमी तिथियों में किए जाते थे में समाहित होता है।

कन्या राशि के हिसाब से पर्व की प्रकृति
कन्या राशि वाले अपने विचार आदि के बारे में लोगों को विशिष्ट ढंग से परिचित कराते हैं। वह किसी के साथ स्थायी रूप से वचनबद्ध नहीं होते। दयालुता का व्यवहार उन्हें आकर्षित करता है। कन्या राशि का स्वामी बुध है। कन्या राशि के व्यक्ति आलोचक तथा विश्लेषक प्रकृति के होते हैं। उनकी आलोचना रचनात्मक न होकर, नाटकीय होती है। कन्या राशि वाले निरंतर क्रियाशील बने रहते हैं।
कन्या राशि की प्रकृति के बारे में और जानें

कन्या राशि के हिसाब से पर्व की सेहत
कन्या राशि वालों का शरीर स्थूल होता है। अनियमित दिनचर्या एवं समय-असमय भोजन खाने के कारण पेट संबंधी रोगों से ग्रस्त रहते हैं। त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) चर्म रोग, कर्ण रोग, भ्रांति, गले या नासिका रोग, उदर-विकार, मधुमेह, वायु-विकार, मंदाग्नि, संग्रहणी, चेचक, जड़ता, वाक्‌ रोग, कुष्ठ, दाद, पक्षाघात, पीठ का दर्द व जोड़ों का दर्द आदि रोगों से पीड़ित होते हैं।
कन्या राशि की सेहत के बारे में और जानें

कन्या राशि के हिसाब से पर्व की कैरियर प्रोफ़ाइल
कन्या राशि के जातकों को अध्ययन का अत्यन्त शौक होता है अतः ये विद्यामें प्रगति करते हैं। परिश्रमी होने की वजह से जो भी विषय चुनेंगे उसमें सफलता प्राप्त करेंगे। ये वाणिज्य, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, पत्रकारिता, संगीत आदि विषयों में शिक्षा ग्रहण करने पर अधिक सफलता मिलती है। एकाग्रचित्त होने की वजह से साहित्य का अध्ययन कर सकते हैं।
कन्या राशि की कैरियर प्रोफ़ाइल के बारे में और जानें

कन्या राशि के हिसाब से पर्व के प्रेमव्यवहार
कन्या राशि के लोग गुणों पर अधिक बल देते हैं। उनकी यह प्रवृत्ति उन्हें लक्ष्य से वंचित भी किया करती है। उनके लिए मानसिक लगाव की समाप्ति एक प्रकार से प्रेम संबंध की समाप्ति होती है। उन्हें प्रेम की वैधता ही संतुष्टि एवं प्रसन्नता प्रदान करती है।
कन्या राशि के प्रेमव्यवहार के बारे में और जानें

कन्या राशि के लिए भाग्यशाली दिन, भाग्यशाली संख्या, भाग्यशाली रंग, भाग्यशाली रत्न, सकारात्मक गुण, और नकारात्मक गुण के बारे में जानें
कन्या राशि तथ्य

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