गाने के बारे में जानकारी
यह गाना फ़िल्म "राम तेरी गंगा मैली" से है।
इस फ़िल्म में राजीव कपूर, मंदाकिनी ने अभिनय किया है।
इस फ़िल्म के संगीतकार रवींद्र जैन हैं।
इस गाने के बोल रवींद्र जैन ने लिखे हैं।
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गाने के बोल
हुस्न पहाड़ों का
ओ सायबा हुस्न पहाड़ों का
क्या कहना के बारहों महीने यहाँ मौसम जाड़ों का
रुत ये सुहानी है
मेरी जाँ रुत ये सुहानी है
के सर्दी से डर कैसा संग गर्म जवानी है -2
तुम परदेसी किधर से आये
आते ही मेरे मन में समाये
करूँ क्या हाथों से मन निकला जाये -2
छोटे-छोटे झरने हैं
के झरनों का पानी छू के कुछ वादे करने हैं
झरने तो बहते हैं
क़सम ले पहाड़ों की जो कायम रहते हैं
खिले-खिले फूलों से भरी-भरी वादी
रात ही रात में किसने सजा दी
लगता है जैसे यहाँ अपनी हो शादी -2
क्या गुल बूटे हैं
पहाड़ों में ये कहते हैं परदेसी तो झूठे हैं
हाथ हैं हाथों में
के रस्ता कट ही गया इन प्यार की बातों में
दुनिया ये गाती है
सुनो जी दुनिया ये गाती है
कि प्यार से रस्ता तो क्या ज़िंदगी कट जाती है -2