ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी...॥
देवी नारद सारद तुम वरदायक, अभिनव पदण्डी ।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि... शारद पदवाचन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी...॥
देवी धूमक वाहन राजत, वीणा वाद्यन्ती ।
झुमकत-झुमकत-झुमकत, झननन झमकत रमती राजन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी...॥
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती ।
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान, तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी...॥
देवी सकल भुवन पर आप विराजत, निशदिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा शंकर तुम भट मेटन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी...॥
मैयाजी को कंचन थार विराजत, अगर कपूर बाती ।
अमर कंठ में विराजत, घाटन घाट बिराजत, कोटि रतन ज्योति ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी...॥
मैयाजी की आरती, निशदिन पढ़ गावरि, हो रेवा जुग-जुग नरगावे ।
भजत शिवानन्द स्वामी, जपत हरि नंद स्वामी मनवांछित पावे ॥
ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥