न तुम बदलोगे अबकि न मेरा हाल बदलेगा
जो बदलेगा अगर कुछ भी तो बस ये साल बदलेगा
पकड़ में न आये इस बार तो ज्यादा ख़ुश मत होना
शिकारी फ़िर पकड़ने के लिये, अब जाल बदलेगा।
न जीतूंगा न हारूँगा न ये ख़्याल बदलेगा
जो बदलेगा अगर कुछ भी तो बस ये साल बदलेगा
न वो मछलियां बदलेंगी न ही वो ताल बदलेगा
जो बदलेगा अगर कुछ भी तो बस ये साल बदलेगा
शुभम पाठक