मोबाइल और संबंध।

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Shristy Jain
Mar 16, 2019   •  2 views

संवाद के आधुनिक साधनों व्हाट्सएप और फेसबुक का उपयोग करते समय तथा स्मार्टफोन से ईमेल और एसएमएस करते समय हमारे अनेक युवक-युवतियों का एक कान और झुका हुआ कंधा अधिकांश समय मोबाइल को समर्पित रहता है। इससे हमारी कदम पर 27 किलो का दबाव पड़ता है। स्मार्टफोन पर लंबे समय तक रहने से हमारा मूड और व्यवहार खराब होने लगता है। हम अपनी डिवाइस को बार-बार देखते रहते हैं और उस पर चर्चा करते रहते हैं। यह समीचीन सामाजिक व्यवहार नहीं है। खुद भी जब भी हम अपने मित्रों के साथ बैठते हैं तो थोड़ी ही देर में वहां मौजूद लोगों में से कोई ना कोई अपना फोन उठा लेता है ऐसे समय प्रतीत होता है कि हमारे मित्र निकट नहीं बैठे हमारी वजह अपने स्मार्टफोन से दूरस्थ बैठे व्यक्ति में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। इससे पूरे समूह के बीच चल रही चर्चा की निरंतरता खंडित हो जाती है। लंबे समय तक टीवी सीरियल्स, कार्टून चैनल देखते समय और वीडियो गेम खेलते समय हमारे शरीर और मन पर अनेक दुष्प्रभाव पड़ते हैं तथा बहुत कठिन और लगभग असंभव है कि हम किसी को मोबाइल का उपयोग करने से रोक सके

यदि हम रात में लाइट बंद करने के बाद सोने से पहले अंधेरे में और अंधेरे में काम करते हैं तो यह आदत हमारी सेहत के लिए खतरनाक है। इससे आंखें ड्राई होने लगती है और उन पर बुरा असर पड़ता है। माइक्रोसॉफ्ट के सी.ई.ओ. बिल गेट्स ने 14 साल तक अपने बच्चों को सेल फोन नहीं दिए। उन्होंने सुझाव दिया था कि घर के बच्चे टेक्नोलॉजी का कितना इस्तेमाल करेंगे। इसकी सीमा तय करना आवश्यक है। यहां पर उल्लेखनीय है कि इसी बीच कुछ कंपनियों ने टेक्नोलॉजी की लत लगाने और निजी जीवन में घुसपैठ करने वाले टूल्स बनाए थे। अभिभावकों और एकल परिवारों की महत्वाकांक्षाओं ने बच्चों से उनका बचपन छीन लिया है। आज के दौर में बड़े बुजुर्गों के सानिध्य और मार्गदर्शन के अभाव में टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, वीडियो गेम्स की आभासी दुनिया में खोते जा रहे हैं। आज के दौर में भौतिक संवाद को भूलते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे परेशान मन को जब अपनों का साथ मिलता है तो बहुतसी परेशानी छूमंतर हो जाती है। परेशानी होने पर अपनों का हाथ पकडने से दिल की धड़कन कम हो जाती है, सांस की गति सामान्य हो जाती है। मस्तिष्क की तरंगे दिल की धड़कनो के साथ संतुलित लय में आ जाती है। अपने घनिष्ठ संबंधी का हाथ पकड़ने से ही दोनों व्यक्तियों के मस्तिष्क की तरंगे एक समय में एक जैसा काम करने लगती है और हमें दर्द में राहत महसूस होने लगती है।

हमें अपने दर्द का एहसास कम हो जाता है। ऐसे पारस्परिक रिश्तो का अहसास और सतत निर्वाह से हमें ताकत मिलती है।

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