सोशल मीडिया का रचना कर्म

profile
Shailendra Gautam
Feb 24, 2019   •  2 views

जो सोशल मीडिया पर अपडेट रहता है , वह कही बाहर जाता है , तब भले ही परिवार को नहीं कहकर जाता हो , लकिन फेसबुक पर बताकर ही निकालता है |किसी भी सुभ अवसर या पर्व पर जितनी बढ़े फेसबुक पर दी जाती है , उतनी फेस टु फेस कहां दी जाती है |भले ही आपको अपना बर्थ डे याद न रहे |लेकिन आप फेसबुक पर है , तो आपके फेसबुक मित्रों को अवश्य याद रहता है |चाहे परिजन , यार , रिश्तेदार बढ़े न दे , पर वे दुनिया के किसी भी कोने में हो , मुबारकबाद देना कभी नहीं भूलते |मेरे जैसा तो सोशल मीडिया पर ही डिजिटल केक काटकर अपने जन्मदिन को यादगार बना लेते है |आज कल जो शादिया हो रही है उस में भी सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है , बहुत से ऐसे वेबसाइट है जिस पर शादी के लिए लड़के खोजे जाते है , जो बहु की मुहदिखई की रस्म भी बदल चुकी है |दुल्हन ससुराल नहीं पहुँचती , उस से पहले पहले सोशल मीडिया पर बगैर नेग दीए ही पूरी दुनिया उसका मुँह देख लेती है , सोशल मीडिया का जमाना खराब भी है और अच्छा भी है |क्योकि इससे फ्रॉड हो सकते है बहुत सारे , आज कल जो गुनाह हो रहे है वो अधिकतर सोशल मीडिया के कारण हो रहे है , सोशल मीडिया के कारण ही आज कल हम एक दूसरे के साथ जुड़े है के दूसरे से बाटे करते है जैसे कि फेसबुक वाट्सअप , इंस्टाग्राम , टिव्टर आदि के साथ एक दूसरे के जुड़े है |ये हमरी दूरियो को ख़तम कर देता है , सोशल मीडिया का जमना लोगो कि आसान करता जा रहा है , आजकल तो प्रथम पुज्य गणपतिजी कि जगह भी सोशल मीडिया ने ले ली है |सोशल मीडिया का इतना जमाना हो गया है कि गणपति से पहले ही हम किसी को व्हाटप्प से ही हम किसी को निमंत्रण भेज देते है , आज कल सोशल मीडिया का क्रेज बहुत जय्दा हो गया है , आज कल हम मार्केटिंग भी हम सोशल मीडिया के थ्रू ऑनलाइन करते है सोशल मीडिया के कारण हम घर बैठे ही काम कर सकते है सोशल मीडिया हमरे जीवन को आसान बना रहा है , अब किसी से जन्म मरण कि भी जानकारी लेने कि जरुरत नहीं |नवजात को सबसे पहले हम सोशल मीडिया के दर्शन करते है |पूरी दुनिया को पता पड़ जाता है कि फलाना सिंह बाप बन गया हैं |इसी तहर , मृतक व्यक्ति परलोक गमन नहीं करता , उसेस पहले उसका आगमन सोशल मीडिया पर होता है |श्रद्धांजलि सभा से पहले ही इतनी श्रद्धांजलि दे दी जाती है कि मृतक कि आत्मा तृप्त हो जाती है |लेखकों को ही देख लीजिए , परम्परागत कागज , कलम , दवात छोड़कर , सोशल मीडिया पर मोबाइल कीबोर्ड के जरिए ही रचना कर्म और रचना धर्म निभा रहे है |वहां चुटकुलेभाजी और अफवाहबाजी से उनकी स्पर्द्धा जारी है |कल तक जो श्रोता पाठक ढूढ़ते थे , आज सुबह शाम फारवर्ड हो रहे है |

0



  0