रंगों से बना एक सपना मेरा था
यक़ीन है, वो सपना तेरा था |
लाल उँगलियों से बनायीं था जो चित्र,
यक़ीन है, वो अपना तेरा था |
हर रंग में मेरे सपने खिल गए |
कहीं राह में हम-तुम मिल गए |
आँखें बंद करते ही जो सामने आया,
यक़ीन है, वो चेहरा तेरा ही था |
मेरे रंग थे हरे, नीले और लाल |
वही रंगों ने पुछा मुझसे एक सवाल |
तस्वीर का वो शख्श खुदा बन गया,
इसलिए शायद
वो मुझसे जुदा हो गया |
तस्वीर में जो ऐब था, शायद वो मेरा था |
पर यक़ीन है वो सपना तेरा था |
तेरा था, तेरा ही था |
- राहुल वर्मा