गलतफहमी दूर हो गईं

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Mahak Gupta
Aug 25, 2019   •  6 views

गाँव के छोटे से स्कूल से बारवीं कक्षा पास करके मैंनेनजदीक हीजयपुर शहर के एक काॅलेज में दाखिला लिया था । सब कुछ बहुत अलग और गाँव की दिनचर्या के बिल्कुल विपरीत था। मैं बहुत सीधी साधारण थी।और उसी साल एक ओर लड़की वंदा ने भी दाखिला लिया, जिसकारहन-सहन, उठना-बैठना हम सब से बिल्कुल अलग था।

शुरूआत में तो मैं उससे बहुत कतरा थी। एक ही कक्षा में होने के बावजूद भी कभी उससे बात नहीं की। उसको लेकर मन में हमेशा आंशका थी।

एक दिन मैं काॅलेज के बाहर सड़क पार कर रही थी कि अचानक से तेजी से आती हुई एक कार ने मुझे टक्कर मार दी और मैं बेहोश होकर वहीं गिर गई। वंदा उस समय वहाॅ खडी थी और वहीं मुझे अस्पताललेकर गई। गाँव से मेरे मम्मी-पापा को बुलाया गया।

मुझे रात तक होश आया और जैसे ही मैंने अपनी ऑखे खोली वंदा मेरे सामने मुस्कराती हई खड़ी थी।उस समय वंदा की उस मुस्कुराहट ने जैसे मुझ पर कोई जादू सा कर दिया और मेरी सारी गलतफहमी दूर हो गई। आज हम दोनों अच्छे दोस्त हैं।

आशय- किसी भी व्यक्ति से बिना मिले, बिना बातचीत किये, बिना उसे जाने केवल रहन-सहन, चाल-चलन के आधार पर ही उसके बारे में अपनी राय नहीं बनानी चाहिए ।

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