जिंदगी का सफर” एक ऐसा सफर है जहाँ जिंदगी एक पल है जिसमें ना आज है ना कल है। जिंदगी हमे खुशियों ,दुखो ,दर्द,छल, कपट, प्यार,विशवास,संघर्ष और समय का अर्थ पहचानना सिखाती है। जिंदगी हमे हर रंग से मिलवाती है जहाँ आशा है तो कही निराशा। ज़िंदगी का हर पन्ना एक किताब है जो कि वो किताब हम सबने मिलकर लिखी है।जिंदगी वो किताब है जो खुलकर जीना सिखाती है।
ज़िंदगी के सफर में “प्यार” भी एक पात्र है जो हमारी ज़िंदगी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है चाहे वो प्यार माँ -बाप ,भाई, बहन, नाना नानी ,प्रेम- प्रमिका ,और अन्य सदस्यों का हो। जिंदगी में प्यार और साथ का होना उतना ही जरूरी है जितना पेड़-पौधे को पानी की जरूरत।ज़िंदगी में प्यार के बिनाखुशियां अधूरी है और खुशियों के बिना ज़िंदगी किंतु जब कोई व्यक्ति ज़िन्दगी में खुश रहेगा तभी वो सारे दुखो को अमृत समझकर पी लेगा ।ज़िन्दगी में इसीलिए प्यार ,साथ,और खुश रहना अनिवार्य है।ज़िंदगी में दुसरो को खुश रखने में जितनी खुशी है वो किसी और चीज में नही।
जिंदगी में मोह -माया ,छल कपट , ये सब एक दुख: का पात्र है जितना इसके पीछे भागोगे उतना ही दुख पाओगे औऱ उतना ही लालची बन जाओगे। ये मोह माया छल कपट मनुष्य की ज़िंदगी के लिए वो कलंक है जिससे मनुष्य दुःखो की डोर से टूटा चला जाता हैं और अपने चारित्र को गिराता जाता है। जिंदगी में जो कुछ भी है उसी में खुश रहना सिखों।
जिंदगी का नाम हारना नही है, जिंदगी इतनी दुःखधय भी नही है कि हार मान कर चढ़ जाए सुल्हि पर।जिंदगी से जो हारा है वो उठा भी है ,जिंदगी वही खत्म नही हो जाती जहाँ हम गिरते है वही गिरना हमे उठाना सिखाता है वही गिरना हमे हमारी मंज़िल तक पहुचता है जिस तरह पेड़ कट कर भी बढ़ने लगता है तो हमारी ज़िंदगी भी ऐसी ही है हम गिरे इसलिए थे कि हम आगे तेजी से बढ़े।
ज़िंदगी की दौड़ में परेशानी और रफ़्तार के बीच में खुद को देखो वो मत देखना की दुनियां की नज़र में कहा हो, खुद की नज़रों में कहा हो वो देखो क्योंकि अक्सर हम इस ज़िंदगी की भीड़ में खो जाते है जहाँ हम खुद के लिए वक़्त नही निकाल पाते हैं औऱ न ही खुद को समझ पाते है । जिस तरह पौधे में लगये फूल मुरझा जाते है उसी तरह कभी ज़िंदगी भी मुरझायी हुई नज़र आती है परंतु जब उस पौधे को सूरज की किरणों में रख दो तो वो फिर खिल जाते है ठीक उसी तरह मुरझायी हुई हमारी ज़िंदगी नही, हमारे हालात होते है । ज़िंदगी मै जो दौड़ोगे सही दौड़ तो ज़िंदगी में खुश रहोगे औऱ मंजिल तुम्हारे कदम चुम रही होगी।
ज़िंदगी में मानो अगर सब कुछ होगा तो लोगो को उसकी कदर न होगी ,न ही उसका महत्व पता चल पाएगा और ज़िंदगी उनकी एक पानी की तरह बस बहती जाएगी न मज़ा रहेगा न उसकी अहमियत ।
जिंदगी में खुश रहना और दूसरों को खुश रखना ,न मोह माया के पीछे भागना, न दुसरो पर अत्याचार करना ,न चोरी करना, औऱ सबको बस सम्मान देना ज़िंदगी को खुलकर जीना औऱ दुसरो को भी खुलकर जीने देना क्योंकि ज़िंदगी एक बार मिलती है दोस्तो बार बार नही ।
खुला आसमान है ,पंख भी तेरे पास है
भर उड़ान कुछ ऐसी ,जैसे कि मंज़िल तेरे पास है
उड़ जा इतनी दूर,जैसे कि जिंदगी तेरे नाम है।
ज़िन्दगी का कुछ पता नही है कब मौत आकर चली जानी है । जितनी भी पाबंदी है तोड़ दो उस बेड़ियां को जिसने उड़ने से रोका है। आज़ादी से ज़िंदगी कोजीना हमारा हक़ है और दूसरों को जिंदगी जीने देना हमारा कर्तव्य।