वो फांसी का फंदा....

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Gauri Mangal
Jun 11, 2019   •  39 views

वो फांसी का फंदा भी आज शरमा गया

दरिंदो के गले में जाने से कतरा गया

कहने लगा मैं इन हैवानो का भोज न उठा पाऊंगा

उस मासूम को तो मैं भी इन्साफ न दिला पाऊंगा

मेरा ओहदा तो गर्व पर टिका था

उन शहीदों के साथ मैं भी तो कई बार शहीद हुआ था

जब जब उन बहादुरों को गले से लगता था मैं

आजादी का एक गर्वीला हिस्सा बन जाता था मैं

उनकी आँखों में जोश और गर्दन में अकड़ हुआ करती थी

हर बहादुर की चरित्र पर मजबूत पकड़ हुआ करती थी

वो देश की खातिर अपनी सासें रोक लेते थे

भविष्य के लिए अपना वर्तमान झोक देते थे

उनके बलिदान ने ऐसी आजादी नहीं मांगी थी

मासूमों के साथ हैवानियत नहीं मांगी थी

न कोई जाती है न कोई धर्म है इन दरिंदों का

इनको न जीने का हक़ है न ही माफी का

मुझको न तुम ऐसे बदनाम करो ऐसी हैवानियत से तो मुझे भी न सरेआम करो उस मासूम की तड़प को इनके कानो तक पहुचाओ इनकी ज़िंदा देह को भी दिनदहाड़े राख बनाओ....

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Sonali Singh  •  4y  •  Reply
Nice one 🙏🙏