बचपन का पचपन

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Dr.Kk Sharma
Apr 26, 2019   •  33 views

प्यारा वो बचपन था,दोस्त मेरा पचपन था
जो में दौडूं तो थक जाता वो पचपन था
उसके अनुभव के आगे बौना मेरा बचपन था
मेरा घोड़ा था वो, हाथी वही,वही मेरी motor था
जो मैं खेलूं,उस खेल का मजबूत खिलौना था
प्यारा वो बचपन था,दोस्त मेरा पचपन था।

मेरी हर problem का solution,हर सवाल का वो जवाब था
हर query का wikipedia, हर उलझन का वो तोड़ था
कुछ ऐसा समझ लो तुम,मेरी दुनिया का वो नक्शा था
प्यारा वो बचपन था,दोस्त मेरा पचपन था।

टूटते दांत मेरे तो जबड़ा उसका भी गिरता था
फिर हँसते दोनो बिन दांतों के तो मासूम सा चेहरा बनता था
चलते चलते मैं गिरता तो लाठी भी वो बनता था
एक अक्षर के सिवा हम में क्या ही तो अंतर था
प्यारा वो बचपन था,दोस्त मेरा पचपन था।

दादा, दादा मैं कहता था; सादा ,सादा वो रहता था
मेरे बचपन के आगे वो पचपन भी छोटा बच्चा था
सुबह की सीख मेरी,वो रात की कहानियां था
मेरे सपनों में ही सही,पचपन के कांधों पर बचपन था
कितना प्यारा वो बचपन था,दोस्त मेरा पचपन था।।

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