हिंदी भाषा वह भाषा हे, जिसको बोलने में आज भारत के लोगों को एक शर्म सी महसूस होने लगती है, लोग भूल गए हे कि जब बच्चा पैदा होता है तो सबसे पहला शब्द बोलना सीखता हे 'माँ' जो कि खुद एक हिंदी शब्द है। आज भारत मे अगर कोई हिन्दी बोले तो लोग उसे अशिक्षित समझने लगते है व अंग्रेज़ी में बात करने पर उसे शिक्षित व आधुनिक समझते हैं। अंग्रेज़ी को भारत के लोगों ने एक अलग ही पद प्रदान कर दिया है कि अगर आपको अंग्रेज़ी नही आती तो आप ज़िन्दगी में कुछ बड़ा हासिल करने में असमर्थ हो। वह भूल गए है की किसी का अंग्रेजी में बात करना उसका ज्ञान साबित नहीं करता क्योंकी अंग्रेज़ी के बहुत से शब्द स्वयं ही हिंदी/संस्कृत भाषा से निकले है जैसे - Man, Bunglow, Thug, Bangle, Chit व आदि।

जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य का गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।

अंग्रेजी भाषा विश्व भाषा होने की वजह से भारत के युवाओं के बीच आज कल ज्यादा प्रचलित हो रही है जिसके लिए उसे कॉरपोरेट दुनिया व औपचारिक जगहों पर इस्तेमाल में लिया जा रहा है जिससे की उसका उपयोग करने के लिए लोगो को मजबूर होना पड़ रहा है । जिसके कारण उन्हें यह भाषा का इस्तेमाल करना उन्हें ज्यादा गर्व का एहसास कराता है व हिंदी का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता चला जा रहा है, जो कि अंग्रेज भारत से चाहते थे क्योंकि हिंदी हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।

किन्तु लोग यह आज भी भूल रहे हे की हिंदी का इतिहास अपने आप में बहुत विशाल है जो की 1000 वर्ष पुराना है व हमारी भाषा की लिपी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है। हिंदी भाषा मंदारिन चीनी भाषा के बाद दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है व दुनिया की 10 सबसे ताकतवर भाषाओं में से एक है। दुनिया का हर छटा व्यक्ति हिंदी भाषा को प्रयोग में लेता है, जबकी 150 से ज्यादा देशों में हिंदी का अस्तित्व है एंव दुनिया के 176 विश्वविद्यालययों में हिंदी पढ़ाई जाती है। हिंदी भाषा भारत की औपचारिक भाषा के साथ-साथ फिज़ी देश की भी औपचारिक भाषा है व हिंदी को हाल ही मे यूनाइटेड अरब एमिरेट्स में वहाँ बहुत सारे लोगों द्वारा हिंदी बोले जाने के कारण अल्पसंख्यक भाषा की मान्यता प्राप्त हुई है जो अपने आप में गर्व की बात की है। भारत के प्रधानमंत्री व अनेक मंत्रियों द्वारा विश्व मंच पर हिंदी को अब प्रयोग में लिया जा रहा है। आज भारत में विदेश के राष्ट्रपति जैसे-बेंजामिन नेतनयाहू व व्लदीमिर पुतिन आकर अभिनंदन करने के लिए हिंदी के शब्दों का प्रयोग में लेते है। विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक 2050 में हिंदी दुनिया की सबसे शक्तिशाली भाषा होगी।

वहीं चीन व जापान के लोगों के मुताबिक अपनी मातृभाषा में बात करना उनको आज भी दुसरो से अलग बनाता है व उन्हें अपनी संस्कृति और लोगों से जोड़े रखता है, जो की उनके लिए गर्व की बात है, इस कारण ही यह देश दुनिया से कंधे से कंधा मिला कर निरंतन प्रगति कर रहे है, पर भारत मे ऐसा बिल्कुल भी नही है भारत के लोग अपनी संस्कृति छोड़ विदेशी संस्कृति अपनाने मैं तुले है जो कि भारत के भविष्य के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध हो सकता है क्योंकि हिंदी हमारी पहचान है।

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